सूफ़ी फाइलें : मेला चरागां
क्या संयोग है कि प्रधानमंत्री मोदी के 5 अप्रैल की शाम दीया जलाने के आह्वान के साथ मुझे लाहौर में लगभग इसी समय मनाया जाने वाला मेला चरागां याद आ गया, जो सूफी संत 'शाह हुसैन' और उनके मुरीद 'माधो लाल' की मज़ार पर लगने वाले सालाना उर्स के साथ मनाया जाता है। महाराजा रंजीत सिंह के समय से इस मेले में सारे लाहौर शहर को दीए, मोमबत्तियों से रोशन किया जाता था और हिन्दू, मुसलमान, सिख सब मिलकर अपनी सांझी तहजीब को ढोल, नगाड़े, धमाल और सूफिया कलाम पर झूमते मलंगों को देखकर मनाया करते थे। आज भी यह मेला बैसाख में तीन चार दिन चलता है। एक डॉक्यूमेंट्री है छोटी सी, देखिएगा कैसे सामूहिक उन्माद में झूमती है जनता मेला चरागां में।
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