सूफ़ी फाइलें : समाजवादी सूफी
कार्ल मार्क्स के जन्म के तकरीबन 100 साल पहले, पेरिस कम्यून के 150 साल पहले और फ्रांसीसी क्रांति के भी 200 साल पहले अविभाजित हिंदुस्तान और आज के सिंध (पाकिस्तान) में सूफ़ी संत 'शाह इनायत' ने नारा दिया, "जो ज़मीन जोतेगा, वही खाएगा".. बाबा बुल्ले शाह के गुरु, शाह इनायत ने सामंतवाद के खिलाफ लोगों से 'सामूहिक खेती' करने का आह्वान किया और छोट-बड़ाई भूल अपने शागिर्दों को बराबरी और मिलजुल कर उपजाने और खाने की प्रेरणा दी। बेशक, सामंती साईं इस समाजवादी तर्ज़ को पचा नहीं पाए और शाह इनायत समेत उनके कम्यून को ख़त्म करवा दिया गया लेकिन इतिहास में शाह इनायत का नाम हमेशा के लिए 'सिंध के समाजवादी सूफी' के तौर पर दर्ज हो गया, जिसने सिर्फ़ झूमने, त्यागने और पूजने ही नहीं, बल्कि लड़ने, जूझने और कमाने-खाने के लिए फकीरों को प्रेरित किया।
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