source: google images रस्ते में हाथ दे कर हमारी गाड़ी को रोकते हुए वो कहता, "ले बेटे ! मालपूए बनाये हैं ! लेते जा !" गर्मियों की शाम को हाथ में थैला उठाये वो आता और कहता, "भिन्डी लाया हूँ ! बिटिया को पसंद है ना !" जब भी हम बाज़ार जाते, उसे घर पर छोड़ जाते और हमारे आने तक वो बरामदे वाली चारपाई पर ही बैठा रहता ! राशन की बोरी सिर पर उठाये वो सुबह उस समय आता, जब हम सो कर उठे भी न होते थे ! पिछले साल हमारे बूगनविलिया की बेल को दराती से काटते हुए उसने कहा था," ऐसे ही फूल-पत्तियाँ लगा कर जगह ख़राब करते हो ! यहाँ ये सब झाड़ियाँ साफ़ करवाकर कनक उगाओ !" उसकी बातें सुनकर उसकी नासमझी पर हमने उसे मन ही मन खूब कोसा था ! बालों में जब से उसने लाल-मेहँदी लगाई थी, उसका नाम मज़ाक-मज़ाक में सबने 'मेहँदी-हसन' रख दिया था ! उसका बेटा बताता है कि उसे लाख समझाया कि बेटी की शादी में सूट सिल्वा ले मगर वो ज़िद पर अड़ गया कि नहीं सिलवाऊंगा ! कहता था कि मैंने मज़दूरी करके कमाई की है ताउम्र; सूट पहनकर मैं सहज नहीं हूँगा ! मगर फिर बेटों के समझाने पर कोट सिल्वा लिया था ! जब पहली बा...