दो हाथ


"बेलदारी का काम करने की आदत है न ! खेतों का काम करके हाथों से खून चल पड़ता है ! मैं तो यहाँ परदेस में इसीलिए काम को आयी हूँ ताकि ध्यान बँट जाए ! घर पर तो बेटों की याद आती है ! मेरे दो बेटे मेरे सामने ख़त्म हो गए ! रो-रो कर मेरी आँखों का पानी सूख गया ! अब मेरे तीसरे बेटे  के घर बच्चा हुआ है.....  ६ साल बाद ! २ महीने का एडवांस दे दो, बीबीजी ! बदायूं जाना है अबकी बार ! "

"पैसे का क्या करेगी ?"

"५०० रुपये नाती ने मांगे हैं ! कुछ मर्द को चाहिए… दीवार पक्की करवाने को। बेटा भी मांग रहा था, सब सामान मथुरा छोड़ आया था ,अब दोबारा बर्तन वगेरह लेने हैं !"

"अपने पास क्या बचेगा तेरे ? दवा-दारु को कुछ रखा है या नहीं?"

"मेरे पास ये दो हाथ हैं, बीबीजी ! इनमें क्या बचाऊँ, क्या छिपाऊँ !"

अपने झुर्राए हुए दरारों से सने हाथों को देखती हुई वो अपनी झुग्गी की ओर चल दी ! और मैं अपने हाथों की लकीरों में अब भी कुछ ढूँढ रही थी !

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