इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं ( विनीत कुमार ) : पुस्तक-समीक्षा
न्यूज़रूम में चलती-दौड़ती तेज़-कदम खबरों से अलग भी कुछ कहानियाँ घट रही होती हैं, जिन्हें कोई रिपोर्ट नहीं करता। लेकिन विनीत कुमार जैसा संवेदनशील लेखक लप्रेक (लघु प्रेम कथा) की शक़्ल में कितनी कम कॉलम-लेंथ घेर कर भी कितनी गहरी बात कह जाता है। बादलों के छोटे-छोटे टुकड़ों जैसी हल्की-फुल्की कहानियाँ जो अलग-अलग शक़्ल लेती रहती हैं। विक्रम नायक के बनाये रेखाचित्र इन लप्रेक के पूरक हैं। खत्म होने के बाद भी कुछ देर तो इन्ही रेखाचित्रों पर कहानी नाचती रहती है। अफसोस ये रहेगा कि 2016 में आई इस किताब, 'इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं' को इतनी देर से क्यों पढ़ा मैंने...

Comments
Post a Comment