बक़ा : कुछ देर और


"काश ! सब रुक जाता। वक़्त, उम्र, जज़्बात। कुछ मोहलत और मिलती। बस, कुछ देर और।"

वक़्त रेत की तरह हथेलियों से फिसलता है और दुनिया में सब फ़ना हुए जाता है। इंसान वक़्त की इसी बेरूख़ी के आगे बेबस है पर उसकी अना (अहम ) उसे हार मानने नहीं देती और वक़्त की ताक़त के आगे इंसान अपनी बक़ा की मज़बूत ख़्वाहिश खड़ी कर देता है। 
'बक़ा' एक अरबी लफ्ज़ है जिसका मतलब  है 'बाकी/बकाया रहना' यानी 'To Remain'/'Survival'. ख़त्म होते रिश्ते या हाथ से छूटती हुई ज़िन्दगी को जाते-जाते जो ताक़त और ज़ोर से जकड़ती है, इस कोशिश में कि कोई सिरा पकड़ कर कुछ दूर और चल लिया जाए, वही बक़ा की ख्वाहिश है। ज़िन्दगी की आखिरी दहलीज़ पर खड़े हुए जो तमाम लोग अपनी जीवनियाँ (Autobiographies) लिखते हैं, ताकि कोई उनके तजुर्बे पढ़ सके, उनके जाने के बाद भी, ये ही है बक़ा की ख्वाहिश। यह बक़ा की ख्वाहिश ही थी जिसके चलते तमाम राजा-शहनशाह बड़े-बड़े किले, इमारतें और ताज-महल जैसे स्मारक बनवा गए, ताकि उनका नाम अमर रह सके, दुनिया में बाकी रह सके ! बैचलर-पार्टीज़ में अक्सर होने वाले दूल्हे-दुल्हन को अपना दिल खोल कर आशिक़ी करने का मौका दिया जाता है, "the last fling before the ring", क्योंकि माना जाता है कि शादी ये आज़ादी छीन लेगी और बैचलरहुड को आखिरी बार ज़िंदा रखने की ये कवायद है 'बक़ा की ख्वाहिश'.  बक़ा की ख्वाहिश ही है जिसके कारण उम्र के आखिरी पड़ाव पर आकर कितने ही अधेड़ आदमियों में यौन-इच्छा बढ़ जाती है; वैज्ञानिक तौर पर इसका सम्बन्ध मानसिक स्थिति से है जिसमें आदमी अपना अंश दुनिया में छोड़ जाना चाहता है (procreation) और इसीलिए उसकी यौन-सक्रीयता बढ़ जाती है। बढ़ती उम्र में लोग कॉस्मेटिक सर्जरी के ज़रिये झुर्रियों को छुपा देते हैं और 'कुछ देर और' अपनी जवानी को कायम रखने की कोशिश करते हैं ; यही है बक़ा की ख्वाहिश। 
'क्लोनिंग' (Cloning) भी किसी ऐसी ही बक़ा की ख्वाहिश के चलते ईजाद की गयी होगी, जब हम किसी एक आदमी की हूबहू नक़ल पैदा कर देते हैं जो वैसे ही दिखती है, वैसे ही बोलती है , वैसे ही चलती-फिरती है जैसे पहली होती है। इसी ख्याल पर आधारित फिल्म 'WOMB' (clone) एक ऐसी ही बक़ा की ख्वाहिश की कहानी कहती है, जिसमे अपने अधूरे प्यार को पूरा करने के लिए रेबेका अपने मरहूम प्रेमी टॉमी का क्लोन अपने गर्भ में पालती है , उसे जन्म देती है , अपने सामने बढ़ता हुआ देखती है पर ये भी जानती है कि उम्र, टॉमी (के क्लोन) को इस बार भी खींच कर उससे दूर कर देगा, इसलिए वह टॉमी (के क्लोन ) के साथ भी सम्बन्ध बनाती है, ताकि उसका अंश फिर से अपने साथ, अपने पास 'बाक़ी' रख सके। रिश्तों की सामाजिक/नैतिक बनावट में उलझी हुई बक़ा की ख्वाहिश कैसे वक़्त की ताक़त से जूझती है, इस फिल्म में इसे बड़ी नज़ाक़त से दिखाया है। ये विषय न सिर्फ वैज्ञानिक बल्कि मानसिक/भावनात्मक पहलू भी टटोलता है जो 'फ़ना' और 'बक़ा' के बीच की जद्दोजहद में  इन्सान की बेबसी और ताक़त, दोनों को समझने की कोशिश करता है। 
.... और जो लोग वक़्त के आगे अपनी ताक़त नहीं आज़मा पाते; जो अपनी जीवनियाँ लिख अपनी कहानियों को लाफ़ानी नहीं बना पाते ; जो ऊँची इमारतें बनवा कर अपना नाम अमर नहीं करवा सकते, जो अपने बच्चों को बीजों की तरह इस दुनिया में छोड़ कर नहीं जा पाते, वह सिर्फ मोहलत में मांगते हैं ,"कुछ देर और" !

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