धरने की ज़मीन पर होती सियासी नूरा-कुश्ती

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के चुनाव, जो इसी मई 2023 में होने वाले थे, हरियाणा के पहलवानों और मौजूदा डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के बीच उठे झगड़े के कारण फिलहाल रोक दिए गए हैं। 

भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह को 2019 में तीसरी बार भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया था और आगामी डब्ल्यूएफआई चुनावों में भी उनके द्वारा समर्थित किसी प्रत्याशी के चुने जाने की पूरी संभावना थी, अगर SAI ने विवाद के कारण अध्यक्ष पद चुनावों को नहीं रोका होता।

कुश्ती के इस सियासी अखाड़े की घटनाओं में एक महत्वपूर्ण मोड़ 2011 में आया, जब रेसलिंग फेड ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष पद के चुनाव में जम्मू कश्मीर के पूर्व पहलवान दुष्यंत शर्मा ने जीत हासिल की और WFI अध्यक्ष बने। लेकिन हरियाणा कुश्ती महासंघ (HWF) ने इस चुनाव को गैर कानूनी बताकर दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी और केस जीत गए; जिसके बाद कोर्ट ने WFI अध्यक्ष के पद के लिए फिर से चुनाव करवाने के लिए कहा। 

गौरतलब है कि इसके बाद 2012 में बृज भूषण शरण सिंह पहली बार WFI अध्यक्ष चुने गए, वह भी हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को हराकर। इसके बाद बृज भूषण शरण ने तीनों टर्म निर्विरोध जीत हासिल की

इस बीच यह देखा गया कि नेशनल चैंपियनशिप में हरियाणा के पहलवान अपने मूल राज्य हरियाणा के बजाय झारखंड, मणिपुर जैसे दूसरे राज्यों से खेलते रहे हैं। इसकी वजह यह भी थी कि हरियाणा में बढ़ते पहलवानों की संख्या के साथ, जो पहलवान राज्य, रेलवे या सेवाओं में टीम बनाने में विफल रहते हैं, वे राष्ट्रीय चैंपियनशिप का टिकट जीतने के लिए विभिन्न राज्यों में स्थानांतरित हो जाते हैं। यहां तक ​​कि हरियाणा के पहलवानों को खेल कोटे से पंजाब पुलिस रैंक में भी शामिल किया गया। 1996 से 2005 तक पंजाब पुलिस के करीब 70 फीसदी जवान हरियाणा के पहलवान हैं। 

आगे देखें तो जून 2022 में, WFI ने अपने तीन राज्य संघों को भंग कर दिया था - जिसमें दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाला हरियाणा कुश्ती संघ (Haryana Wrestling Association) भी शामिल था। Haryana Wrestling Association को भंग करने के पीछे कुव्यवस्था,अनुशासनहीनता और age fraud जैसी लम्बित शिकायतें थीं। WFI ने इन संघों के नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया। 

जहां सितंबर 2022 में (भाजपा की) हरियाणा सरकार में पेहवा से चुने गए विधायक संदीप सिंह को सर्वसम्मति से हरियाणा कुश्ती संघ का अध्यक्ष चुना गया, वहीं बृजभूषण के नेतृत्व वाले गुट ने जुलाई 2022 में INLO नेता रोहतास सिंह को अध्यक्ष चुन लिया था। 

सितंबर 2022 में ही, हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह के गुट और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा समर्थित गुट के बीच गुजरात में राष्ट्रीय खेलों 2022 के लिए हरियाणा की टीम भेजने के अधिकार और ट्रायल को लेकर वैधता की लड़ाई छिड़ गई। 

वर्चस्व की इस लड़ाई में, राज्य के पहलवान मुश्किल में फंस गए क्योंकि उनका खेल करियर डब्ल्यूएफआई के हाथों में था, लेकिन नकद पुरस्कार और नौकरियां राज्य सरकार और खेल मंत्री के हाथों में थीं। नतीजतन, जिला कुश्ती निकायों और अखाड़ों ने एकमुश्त राय से खेल मंत्री संदीप सिंह वाले हरियाणा कुश्ती संघ को अपना समर्थन देने का फैसला किया। 

संयोग से, जनवरी 2023 की शुरुआत में, चंडीगढ़ पुलिस ने एक जूनियर एथलेटिक्स कोच की शिकायत के आधार पर हरियाणा के इसी खेल मंत्री और हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष संदीप सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया, जिसके बाद उन्होंने इन पदों से इस्तीफा दे दिया।
संदीप सिंह पर आरोप लगाने वाली महिला ने विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पूर्व मुख्यमंत्री (सीएम) और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी यौन शोषण के आरोपों को लेकर संदीप सिंह को मंत्रिपरिषद से हटाने की मांग की। हरियाणा की खापों ने भी संदीप सिंह को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने पर आंदोलन की धमकी दी।

दूसरी तरफ बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक नए चयन नियमों का विरोध कर रहे थे और उन्होंने 2022 में गुजरात में होने वाले राष्ट्रीय खेलों और दिसंबर 2022 में नई दिल्ली में होने वाले चयन ट्रायल में भाग नहीं लिया। डब्ल्यूएफआई ने साफ किया कि केवल चयन- ट्रायल में भाग लेने वालों पर ही एशियाई खेलों के लिए विचार किया जाएगा, जिसका मतलब बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के लिए अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दरवाज़े बंद हो चुके थे।

देखते ही देखते, जनवरी 2023 में हरियाणा के इन्हीं पहलवानों ने जंतर मंतर पर WFI अध्यक्ष की प्रशासनिक तानाशाही के खिलाफ विरोध शुरू किया और फिर बाद ने बृज भूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप भी लगाए। आरोपों की जांच करने वाली एक जांच समिति के गठन और चल रही तफ्तीश के बावजूद मई में हरियाणा के यही पहलवान, WFI अध्यक्ष चुनाव से ठीक पहले बृज भूषण शरण सिंह के तत्काल इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर फिर से धरने पर बैठ गए। इसके साथ ही खाप और विपक्षी दल नेताओं ने पहलवानों के समर्थन में और भाजपा सांसद के खिलाफ मीडिया में अपनी हाज़िरी लगानी शुरू की। 

यहां यह जोड़ना ज़रूरी है कि 2020 में एनडीए सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों में से एक द्वारा 'One Nation- One Market’ का प्रावधान लाया गया था, जिसके तहत किसान देश में किसी भी राज्य की मंडी में अपनी उपज बेच सकता है, जबकि पहले किसान अपने राज्य की ही मंडी में उपज बेचने के लिए बाध्य थे। हरियाणा राज्य के किसानों ने इस नए कृषि कानून का पुरजोर विरोध किया। हालांकि इस परिपेक्ष में देखें तो हरियाणा के अपने खिलाड़ी दूसरे राज्यों से खेलकर उन राज्यों के स्थानीय खिलाड़ियों के कोटा को हड़पते रहे हैं जबकि कृषि क्षेत्र में दूसरे राज्यों के किसानों की उपज अपनी हरियाणा की स्थानीय मंडियों में बेचे जाने का विरोध करते हैं। 

पहलवानों की इस नूरा कुश्ती में इल्ज़ामों की निष्पक्ष जांच हो मगर इस धरने की धरा जिस राजनीति पर टिकी है, उसे अनदेखा कर इस बड़े खेल को अंधसमर्थन देना भी हर लिहाज़ से नाजायज़ है।

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