यह कैसी पर्दादारी है?
हम एक संक्रमण काल से गुज़र रहे हैं जब दुनिया के एक कोने में हिजाब का विरोध हो रहा है और दूसरे कोने में हिजाब के पक्ष में अदालती जिरह चल रही है।हालही में राजस्थान के एक गाँव की सरपँच सोनू कंवर मंच पर घूंघट ओढ़कर पहुंचीं और अंग्रेजी में स्वागत भाषण दिया, जिसकी तारीफ़ यह कहकर की जा रही है कि घूँघट मे रहकर भी तरक्की हो सकती है। जबकि देखा जाए तो शर्म लाज लिहाज के नाम पर औरत को कपड़े की परिधि से ढांपने को चाहे धर्म के नाम पर हिजाब कहो या संस्कृति के नाम पर घूंघट या पर्दा, बात एक ही है। मुझे याद आता है मेरी दादी की एक भी तस्वीर हमारे घर पर नहीं थी & बहुत ढूंढने पर पुराने एल्बम में से जो एक धुंधली सी फोटो निकली,उसमें भी दादी ने चेहरे पर 2 फुट लम्बा घूंघट ओढ़ा हुआ था। आज भी कई गांव में औरतें अपने बेटे की उम्र तक के लड़कों, आदमियों और दामाद तक से घूंघट करती हैं। Sita's Daughters: Coming Out of Purdah किताब में Leigh Minturn खालापुर गांव की case study के बहाने राजपूत औरतों के पर्दा प्रथा से बाहर निकलने के सामाजिक परिवर्तन की वजूहात को बड़ी सूक्ष्मता से समझाती हैं।...