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Showing posts from January, 2023

राजा और फ़कीर की यारी और विश्व बंधुत्व की नींव

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• राजपुताना में खेतड़ी ठिकाणा के शेखावत वंश के शासक महाराजा अजीत सिंह बहादुर और (पहले) स्वामी बिबिदीशानंद के नाम से जाने जाने वाले साधु नरेंद्र दत्ता के बीच रही अनोखी दोस्ती की कहानी आज जानने योग्य है। • कहा जाता है कि नरेंद्र अपने जीवनकाल में केवल तीन बार - 1891, 1893 और 1897 में अजीत सिंह से मिले थे और फिर भी उनके साथ एक बहुत करीबी रिश्ता विकसित किया। •नरेंद्र, श्री रामकृष्ण के भक्त, 1888 में एक घुमंतू साधु के रूप में बेलूर से निकले थे। राजा अजीत सिंह बहादुर उनके शिष्य बन गए और राजा के सुझाव पर ही नरेंद्र अपना नाम स्वामी विवेकानंद रखने और केसरिया बाणा & राजस्थानी शैली की पगड़ी (साफ़ा) धारण करने के लिए सहमत हुए, जो आगे चलकर उनकी ट्रेडमार्क पहचान बन गई।  • 22 नवंबर, 1898 में राजा अजीत सिंह को लिखे एक पत्र में विवेकानंद लिखते हैं, "मुझे अपना मन आपके सामने खोलने में जरा भी संकोच नहीं है और मैं आपको इस जीवन में अपना एकमात्र दोस्त मानता हूं"। • अजीत सिंह द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता से ही उनके मित्र नरेंद्र (स...

मातृभाषा की मृगतृष्णा

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अभी हालही में राजस्थान में राहुल गांधी ने कहा,"अगर आप बाकी दुनिया के लोगों से बात करना चाहते हैं, तो हिंदी नहीं चलेगी, अंग्रेजी चलेगी । हम चाहते हैं कि गरीब किसानों और मजदूरों के बच्चे जाएं और अमरीकियों के साथ प्रतिस्पर्धा करें और उनकी भाषा का उपयोग करके उन्हें जीतें।" ऐसे ही 11 अक्टूबर, 1967 के विदुथलाई के एक संपादकीय लेख में, पेरियार ने तमिल को "काटुमिरांडी मोझी" कहा, जिसका अर्थ है बर्बर भाषा। उन्होंने अपने जीवनकाल में एक बार नहीं बल्कि कई बार तमिल का एक 'बर्बर भाषा' के रूप में उल्लेख किया है। वह चाहते थे कि संचार के माध्यम के रूप में अंग्रेजी का उपयोग हो। उन्होंने तो यहां तक ​​कहा कि 'तमिल एक ऐसी भाषा है जो भीख मांगने के काम भी नहीं आती'। वहीं 2019 में मेरे दिल-अज़ीज़ पंजाबी गायक गुरदास मान ने कह दिया था कि पंजाबी अगर 'मां' बोली है तो हिंदी भी 'मासी' है ; साथ ही one nation-one language की भी वकालत कर दी थी; जिसके बाद पंजाब भर में उनको 'पंजाबी का गद्दार' घोषित कर उनकी खूब आलोचना भी हुई थी।  वैसे One nation one la...