फूलन देवी : बंदूक से बुद्ध तक
फूलन देवी ने पहली बगावत की अपनी ज़मीन अपने ही शरीकों द्वारा हड़पे जाने के खिलाफ़। फूलन देवी की दूसरी बगावत थी अपने पति द्वारा किए जाने वाले मैरिटल रेप के विरुद्ध। फूलन देवी की अगली बगावत थी एक पिछड़ी जाति की महिला होने के बावजूद मिलीजुली जाति वाले बागियों के टोले में शामिल होने की। बेहमई कांड की जिम्मेदारी कभी साफतौर पर फूलन ने ली ही नहीं। फूलन ने आगे चलकर उग्र विरोध किया अपने नाम पर बनाई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म बैंडिट क्वीन में परोसी गई मिथ्या का। फूलन को अगर आप बैंडिट क्वीन जैसे manipulative cinema से जानते हैं या दस्यु सुंदरियों को लेकर छपी पल्प-फिक्शन-नुमा रिपोर्टों से, तो दोबारा सोचिए! फूलन देवी का 'पॉलिटिकल कैपिटल' की तरह आज तक दोहन करने वालों ने उसे देवी, नायिका और दस्यु सुंदरी बताकर उसके किरदार और कहानी की जैसी लीपापोती की है, वह न सिर्फ़ फूलन की छवि के लिए बल्कि एक न्यायाभिलाषी समाज के लिए भी घातक है। प्रो दिलीप मण्डल 2017 में छपे अपने एक लेख में लिखते हैं कि फूलन देवी को ठाकुरों के मुकाबले खड़ा करने वाले दुष्ट लोग हैं। यहां जाति का ...