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Showing posts from May, 2022

रेत समाधि को बुकर पुरस्कार : लेखकों के लिए हिंदी राष्ट्रीयता के कुएं से निकलने का अलार्म

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गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेज़ी तर्जुमे 'Tomb of Sand' को बुकर पुरस्कार मिलने पर हिंदी भाषा और अंग्रेज़ी भाषा, दोनों मुबारक की हकदार हैं। यह एक अद्भुत जुगलबंदी है, कि हिंदी में सोचा-लिखा गया उपन्यास, अंग्रेज़ी पाठकों और ज्यूरी पर भी उतना ही पुर-असर रहा, जितना मूल भाषा में। हिंदी भाषा का गौरव तो बढ़ा ही है लेकिन अब समय आ गया है कि लेखक, हिंदी के साथ कम से कम दो और भाषाओं में लिखना शुरू करें। झुंपा लाहिड़ी का हालिया उपन्यास Whereabouts उन्होंने पहले इटालियन भाषा में ही सोचा, लिखा और फिर उसका अनुवाद अंग्रेज़ी में किया। ऐसा करके हम भाषा, संस्कृति और स्थानीयता के वाटरटाइट खांचों से भी निकल पाते हैं। मशहूर लेखक James Baldwin खुद को commuter(यात्री) कहते हैं क्योंकि अपने लेखन से वे संस्कृतियों, शहरों, भाषाओं के बीच आवागमन कर पाते हैं। अरुंधति रॉय को बुकर मिलने के बाद एक पाठक उनसे पूछता है कि क्या किसी लेखक ने कभी एक मास्टरपीस अपनी मातृभाषा के अलावा किसी और भाषा में लिखा है? अरुंधति कहती हैं नाबोकोव ने, लेकिन असल में Algorithm ही है जो एक लेखक को उ...

एंग्लो-सिख संबंध: इतिहास के ग्रे गलियारों से

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अक्सर हमारा बौद्धिक-वर्ग इतिहास में अंग्रेज़ों के साथ रहे गुलाम भारतीय समूहों के संबंधों पर एकमुश्त ब्लैक एंड व्हाइट रुख अख्तियार कर उन सभी को नैतिक कटघरे में खड़ा कर देता है, जिन्होंने उस समय के मुताबिक एक व्यवहारिक पक्ष चुना। 17वीं शताब्दी से लेकर 1947 आते आते सियासी और समाजी हालात कई रूप में बदले और भारतीय प्रजा के, बतौर अधीनस्त, रुख में परिवर्तन देखने को मिला। ऐसा ही एक भारतीय समूह था सिखों का, जिनके अंग्रेज़ी हुकूमत के साथ संबंधों को हम तफ्सील से साक्ष्यों सहित मुड़कर देखेंगे।   यूं तो सन 1758 में सिखों के दल खालसा ने जस्सा सिंह अहलूवालिया की अगुवाई में मुग़ल गवर्नर अदीना बेग और मराठों के साथ हाथ मिलाकर सरहिंद पर चढ़ाई भी की थी।¹ लेकिन एंग्लो-सिख संबंधों पर केंद्रित रहकर उन ऐतिहासिक पड़ावों का ज़िक्र करना सही होगा, जिनसे यह संबंध और मज़बूत हुए। याद रहे, एंग्लो-सिख दोस्ती परस्पर एक दूसरे की सीमा के सम्मान की शर्त पर कायम रही।  1771 में सिखों की भंगी मिस्ल के मजबूत सरदार, झंडा सिंह ढिल्लों ने अंग्रेज़ जनरल रॉबर्ट बार्कर को बाकायदा खत लिखकर यह इसरार किया कि ...

𝐓𝐡𝐞 𝐓𝐢𝐭𝐥𝐞 𝐒𝐮𝐢𝐭 𝐨𝐟 𝐓𝐚𝐣 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐥 : सियासी हक़-तर्क की तफ़्तीश

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राजकुमारी दीया कुमारी के ताजमहल पर दिए बयान के बहाने जयपुर राजघराने और मिल्कियत के दावे का मज़ाक तो खूब बना लेकिन राजकुमारी का बयान अधपका ज़रूर कहा जा सकता है पर 'ज़मीन' पर रही जयपुर राजघराने की मिल्कियत का दावा कतई खोखला नहीं है। इसका सबूत है नीचे दिए रेफरेंस, जो साबित करते हैं कि ताजमहल को बनाने के लिए शाहजहां ने 'ज़मीन' आमेर (जयपुर) के राजघराने से ही ली थी। (ध्यान रहे, इनमें कहीं ताजमहल के 'तेजो महालय' होने की बात नहीं मिलती है।) • 𝐒𝐭𝐮𝐚𝐫𝐭 𝐂𝐚𝐫𝐲 𝐖𝐞𝐥𝐜𝐡 एक मशहूर अमरीकी क्यूरेटर और स्कॉलर रहे, जिनकी 1985 में छपी किताब 𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚: 𝐀𝐫𝐭 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐮𝐥𝐭𝐮𝐫𝐞, 𝟏𝟑𝟎𝟎-𝟏𝟗𝟎𝟎 में वो लिखते हैं: "On the death of his (Prince Khurram) favorite wife, Mumtaz-Mahal, land that had belonged to Raja Man Singh was acquired as the site for her tomb-the Taj Mahal." • 𝐆𝐢𝐥𝐞𝐬 𝐓𝐢𝐥𝐥𝐨𝐭𝐬𝐨𝐧 एक प्रख्यात इतिहासकार हैं और भारतीय इतिहास & स्थापत्य कला के प्रोफेसर हैं। इनकी 2006 में आई किताब 𝐉𝐚𝐢𝐩𝐮𝐫 𝐍𝐚𝐦𝐚: 𝐓𝐚𝐥𝐞𝐬 𝐅𝐫𝐨𝐦...