रेत समाधि को बुकर पुरस्कार : लेखकों के लिए हिंदी राष्ट्रीयता के कुएं से निकलने का अलार्म
गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेज़ी तर्जुमे 'Tomb of Sand' को बुकर पुरस्कार मिलने पर हिंदी भाषा और अंग्रेज़ी भाषा, दोनों मुबारक की हकदार हैं। यह एक अद्भुत जुगलबंदी है, कि हिंदी में सोचा-लिखा गया उपन्यास, अंग्रेज़ी पाठकों और ज्यूरी पर भी उतना ही पुर-असर रहा, जितना मूल भाषा में। हिंदी भाषा का गौरव तो बढ़ा ही है लेकिन अब समय आ गया है कि लेखक, हिंदी के साथ कम से कम दो और भाषाओं में लिखना शुरू करें। झुंपा लाहिड़ी का हालिया उपन्यास Whereabouts उन्होंने पहले इटालियन भाषा में ही सोचा, लिखा और फिर उसका अनुवाद अंग्रेज़ी में किया। ऐसा करके हम भाषा, संस्कृति और स्थानीयता के वाटरटाइट खांचों से भी निकल पाते हैं। मशहूर लेखक James Baldwin खुद को commuter(यात्री) कहते हैं क्योंकि अपने लेखन से वे संस्कृतियों, शहरों, भाषाओं के बीच आवागमन कर पाते हैं। अरुंधति रॉय को बुकर मिलने के बाद एक पाठक उनसे पूछता है कि क्या किसी लेखक ने कभी एक मास्टरपीस अपनी मातृभाषा के अलावा किसी और भाषा में लिखा है? अरुंधति कहती हैं नाबोकोव ने, लेकिन असल में Algorithm ही है जो एक लेखक को उ...