हिस्ट्री डिग्री सेल्सियस
मेरे अपने बुद्धिजीवी मित्र, जिनमें कई शिक्षाविद भी शामिल हैं, अक्सर किसी भी ऐसी ऐतिहासिक व्याख्या को, जो उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाती, " व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी ज्ञान " कहकर खारिज कर देते हैं। इनका मत यह भी रहता है कि इतिहास पर आखिरी मोहर एक प्रशिक्षित इतिहासकर की ही हो, तभी वह प्रमाणिक कहलाएगा। मज़े की बात यह है कि यही बौद्धिक जन अक्सर ऐसे टिप्पणीकारों और विशेषज्ञों को अपने पैनल, पॉडकास्ट और सेमिनारों में इतिहास पर परिचर्चा के लिए बुलाते हैं, जो खुद ' औपचारिक' तौर पर इतिहासकार (यानि इतिहास में स्नातक/स्नातकोत्तर) नहीं होते। मगर बावजूद इसके, ये इतिहास विशेषज्ञ और स्व-प्रशिक्षित इतिहासकार अपनी वैचारिकी के आधार पर अपना पक्ष बड़ी मज़बूती से रखते हैं। उदाहरण के लिए, राम पुनियानी को लें जो अक्सर प्रतिष्ठित मंचों पर इतिहास पर चर्चा करते दिखते हैं। असल में, वे पेशे से एक मेडिकल शोधकर्ता और डॉक्टर हैं। इतिहास में उनकी 'रुचि' उन्हें ऐतिहासिक तथ्यों पर आधिकारिक तौर पर टिप्पणी करने के लिए योग्य नहीं ठहरा सकती। लेकिन उन्हें इसलिए आमंत्रित किया जाता है क्य...