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एक सहरा और तीन किरदार : अभिषेक • सावजराज • ज़ुल्फिकार

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एक सहरा और तीन किरदार :  अभिषेक श्रीवास्तव     •   सावजराज सिंह   •  जुल्फिकार अली कल्होड़ो  रिपोर्टर: अभिषेक श्रीवास्तव  अभिषेक यूं तो साम्यवाद के लाल गमछे से पहचाने जाते हैं लेकिन उनकी 'कच्छ-कथा' पढ़कर यह समझ आता है कि वे बाहर से जितने लाल दिखते हैं, भीतर से उतने ही हरे सोते जैसे हस्सास हैं। लेकिन अभिषेक कोई मूकदर्शक नहीं हैं, ना ही सिर्फ़ दर्जकर्ता हैं। अभिषेक एक खांटी participant observer हैं, जो अपने सब्जेक्ट से दोस्ती भी करते हैं, उसके सुख-दुख में शामिल भी होते हैं, उसका इतिहास भी कुरेदते हैं, उसके भविष्य की रेखा भी बताते हैं और साथ ही उसके वर्तमान पर अपनी आत्मनिष्ट टिप्पणी भी करते हैं। 'मोटरसाइकिल डायरीज़' के एक सीक्वल की तरह उनकी यात्रा नमक के खेतों से होती हुई लखपत के वीरान खंडहरों तक जाती है। सूफी पीरों के किस्सों से चकित होते हुए अभिषेक निश्छल भी लगते हैं तो कभी रजवाड़ों की शौर्यगाथाओं में गुम हुए सबाल्टर्न को तलाशते हुए वो पूर्वानुमेय ( प्रिडिक्टेबल ) भी लगते हैं। एक रिपोर्टर के झोले में बित्ता भर पूर्वाग्रह...