Posts

Showing posts from August, 2020

जा, तुझे बहिश्त नसीब हो !

Image
मिसेज साहनी की आंखें सुर्खरू हो जाती जब भी वह आलम को अपनी यादों में बसे आंगन के कंधारी अनारों की कहानी सुनाती। धीरे-धीरे अपनी ज़ाती बातों का पिटारा एक मानूस अजनबी के सामने खोलना बहुत बड़ी बात थी उनकी जैसी अक्खड़ और अनखी औरत के लिए। लेकिन लड़खड़ाते हुए उम्र की इस आखिरी दहलीज पर आलम जैसे इंसान का सहारा पाकर मिसेज साहनी का मन दोबारा हरीयाने लगा था। आलम एक एनजीओ से जुड़ा था जो अकेलेपन से गुजरते बुजुर्गों के साथ वक़्त बिताने के लिए हस्सास नौजवानों को ट्रेन करता था। आलम 2 साल से पार्ट टाइम यह काम कर रहा था और मिसेज साहनी का ज़िम्मा संभाले उसे 9 माह ही हुए थे। इन नौ महीने में आलम ने मिसेज साहनी का विश्वास जीत लिया था और अब वह आलम को घर का एक हिस्सा मानने लगीं थीं।  असाइनमेंट के पहले ही रोज़ आलम जब मिसेज साहनी की साउथ दिल्ली वाली कोठी के गेट से अंदर घुसा था, अपने बरामदे में बैठी संतरा छील कर खाती हुईं मिसेज साहनी ने वहीं से चिल्ला कर कहा था, "ओए! कौन है तू ते कित्थे चला आंदा ए? किनू मिल्लना ए? सोनी...ओह सोनी! देखीं कौन है।" आलम थोड़ा शर्मसार हुआ था लेकिन यहां कौन उसे देख ...

सयानी दीवानी : दियासलाइयों का दस्ता

Image
    राधाकृष्ण प्रकाशन से आई किताब ' सयानी दीवानी ' प्रख्यात लेखिका नूर ज़हीर की लिखी कहानियों का एक ऐसा दस्ता है, जो अपनी भाषा, बनावट और सार के लिहाज से हर पाठक को बाँधने की सलाहियत रखता है। यह कहानी संकलन माचिस की उस डिबिया की तरह है जिसकी हर कहानी अपने आप में एक दियासलाई है, जो सामाजिक रिवायतों और बनावटी रिश्तों की खुरदुरी सतह से रगड़कर बगावत की चिंगारी हर किरदार की शक़्ल में सामने लेकर आती है।  "..ज़्यादातर पुरुष महिलाओं को खेलनेवाली गुड़िया समझते हैं, मुझे मालूम नहीं था पुरुषों को ख़ुद भी गुड्डा बनने की इतनी तमन्ना होती है!”   (गोलाकार के तीन कोण)  लेखिका नूर ज़हीर के लिखे किरदार आपको  रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में चलते-फिरते मिल जाएंगे, कभी सब्ज़ी खरीदते हुए, कभी पड़ोस की बालकनी में सुस्ताते हुए, कभी किसी त्योहार के रोज़ किसी रिश्तेदार के यहाँ, कभी अपनी माँओ-मौसियों में, कभी अपने दफ्तर के किसी कलीग में; और फिर यह दोस्ताना किरदार हाथ थाम कर अपनी कहानी में पाठक को सहज ही खींच ले जाते हैं। किरदारों की परतें खुलते-खुलते पाठक उनमें अपनी छाया देखने लगता है और फिर कह...