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किताबों से रिश्ता: अमृता प्रीतम

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आज मैं आपके साथ साझा करने जा रहा हूँ मेरी पसंदीदा लेखिका अमृता प्रीतम की किताबों, किस्सों और उनके लिखे कुछ बेहद ख़ास अंशों को। अमृता प्रीतम—एक नाम, एक जज़्बा, एक औरत की आवाज़ जिसने अपनी कलम से न सिर्फ़ प्यार लिखा, बल्कि दर्द, विद्रोह और पूरी एक सदी की कहानी कह दी। --- 1. रसीदी टिकट सबसे पहले बात करते हैं उनकी आत्मकथा "रसीदी टिकट" की। एक बार उनके मित्र और मशहूर लेखक खुशवंत सिंह ने मज़ाक में कहा था— “ तुम्हारी ज़िंदगी की घटनाओं को अगर दर्ज किया जाए तो यह सिर्फ़ एक रसीदी टिकट के पिछले हिस्से पर भी समा जाएगी।” यह बात अमृता को भीतर तक छू गई। उन्हें लगा, बाहर से उनकी ज़िंदगी छोटी और मामूली दिख सकती है, लेकिन भीतर तो प्रेम, पीड़ा, संघर्ष और सृजन की पूरी दुनिया है। और फिर उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम रख दिया—"रसीदी टिकट"। --- 2. अक्षरों के साए अमृता की दूसरी आत्मकथा है "अक्षरों के साए"। इसमें वे लिखती हैं— " दोस्तों! वतन से बड़ी कोई दरगाह नहीं होती। वतन वालों! दिल का चिराग रोशन करो।" यह पढ़ते ही मुझे याद आता है अल्लामा...