राजपूत और भारतीय वाम राजनीति
भारतीय राजनीति मुख्य रूप से जाति और धर्म के इर्द-गिर्द केंद्रित है और आमतौर पर जनता केंद्रित मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।दुख की बात यह है कि मतदाताओं को भी इस राजनीतिक प्रवृत्ति से कोई फर्क नहीं पड़ता, इसलिए भारतीय राजनीति ने अपने दृष्टिकोण में कोई आमूल-चूल परिवर्तन नहीं देखा है । 'विचारधारा की राजनीति' को कई कारणों से पूर्णतः स्वीकार नहीं किया गया है और शायद यही कारण है कि भारतीय दक्षिणपंथी और वामपंथी खुले तौर पर वैचारिक मैदान पर नहीं खेलते हैं। भारतीय दक्षिणपंथ के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है, लेकिन वामपंथ या तो अपने सत्ता-विरोधी रुख या अपनी सक्रियता की राजनीति के कारण निशाने पर रहता है। आज हम भारतीय वामपंथ के एक और दिलचस्प पहलू पर प्रकाश डालना चाहते हैं, जहां हम भारतीय वामपंथ और भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने मार्शल समुदाय, राजपूतों (क्षत्रिय) के बीच संबंधों का विश्लेषण करते हुए बिंदुओं को जोड़ेंगे। भारतीय वामपंथ और राजपूतों के बीच सामान्य समीकरण काफी हद तक नकारात्मक रहे हैं । निर्भीक आत्म-जागरूक राजपूत न तो वामपंथी दलों और सक्रियता में लीन मि...