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राजपूत और सिख संबंध : साफ़ नज़र और साफ़ नीयत से पुनर्वलोकन

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आज गुरु गोबिंद सिंहजी के जन्म दिहाड़े पर उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हुए साल की आखिरी पोस्ट लिख रही हूं राजपूतों और खालसा पंथ के गहरे संबंधों पर। अफ़सोस होता है कि कुछ शरारती तत्त्वों द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी और राजपूतों/क्षत्रियों के रिश्तों के बीच तनाव पैदा करने की नीयत से इतिहास को विकृत किया जाता है; प्रेरित नैरेटिव सेट किया जाता है लेकिन इतिहास को झुठलाना और ज़िंदा सबूत मिटाना इतना आसान भी नहीं होता।  राय भुल्लर भट्टी पंद्रहवीं सदी के उत्तरार्ध में भट्टी वंश के एक राजपूत मुस्लिम के जागीरदार थे। वे उस गाँव के मुखिया थे जहाँ 1469 में गुरु नानक का जन्म हुआ था। बाद में राय बुलर ने तलवंडी का पुनर्निर्माण करवाया, जिसे पहले रायपुर के नाम से जाना जाता था। यह शहर बाद में ननकाना साहिब के नाम से जाना गया। जन्म साखी के अनुसार, राय बुलर भट्टी ही गुरु नानक देवजी के दूसरे भक्त बने , तथा गुरु साहिब की बहन उनकी पहली भक्त थीं। इससे ज़ाहिर है कि सिख पंथ और सिख गुरुओं के सबसे पहले अनुयाई राजपूत ही हुए और सिक्खी को अपनाकर राजपूतों ने अपनी खुली सोच और भक्तिभावना का सदा से ही परिच...