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किसान का पसीना

और एक दिन ऐसा आएगा गोदामों में सड़ रहा अनाज  --बारूद बन जाएगा -- खेत अस्ला उपजाएँगे  और MSP के भरोसे आढ़तियों की प्लिंथ पर  धूप में जलता हुआ किसान  अपना पसीना पोंछेगा---  और लावे की तरह बहता हुआ किसान का पसीना-- ---गाँव की पगडंडियों से होकर शहर की गलियों तक आजाएगा   ---अन्नदाता शायद तभी पहचाना जाएगा ---